बिग ब्रेकिंग न्यूज- मुख्यमंत्री सचिवालय में लगा सेंध, तीन आरक्षकों द्वारा फर्जी तरीके से निकालें स्वेच्छा अनुदान राशि, मुख्यमंत्री सचिवालय ने अतिसंवेदनशील मामले को मीडिया (मीडिया कवरेज) से छिपाई, सचिवालय पर लग रहें कई सवालिया निशान।
बिग ब्रेकिंग न्यूज/ मुख्यमंत्री सचिवालय में लगा सेंध, तीन आरक्षकों द्वारा फर्जी तरीके से निकालें स्वेच्छा अनुदान राशि, ।
रायपुर/ छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री कार्यालय (सचिवालय) में पदस्थ रहे तीन आरक्षकों द्वारा शासकीय दस्तावेजों में कूटरचना फर्जी आदेश पत्र तैयार कर सचिवालय में पदस्थ होने तीनों आरक्षकों द्वारा मिलकर स्वेच्छा अनुदान राशि का भी फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेज तैयार करके स्वेच्छा अनुदान राशि निकाल कर बड़ा घोटाला किया गया है मालूम हो कि पुलिस आरक्षक संतोष कुमार साहू, कुलेश्वर साहू, तथा भगवान दास पटेल मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ रहते हुए वर्ष 2022 को शासकीय दस्तावेज से कूटरचना करते हुए फर्जी आदेश पत्र बनाकर पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में जमा किया गया साथ ही तीनों ने मिलकर मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान राशि फर्जी हस्ताक्षर कर कई लोगों के नाम पर अनुदान राशि निकाला गया मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा शंका पैदा होने पर जांच में आरोप सही पाए जाने से आरोपी आरक्षकों से कई फर्जी हस्ताक्षर किए गए सील युक्त फर्जी दस्तावेज, डेस्क टाॅप तथा इनके बैंक खाताओ के कब्जे से मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान राशि के साथ ही इनके कब्जे से 28 नग सादे पेपर पर मुख्यमंत्री साहब के फर्जी हस्ताक्षर युक्त दस्तावेज जब्त किया गया मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी के शिकायत पर सिविल लाइन पुलिस ने अपराध पंजीबद्ध कर धारा 420,467,468,471,34,भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया जो वर्तमान में माननीय न्यायालय में विचाराधीन चल रहा है विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा उक्त मामले को मीडिया कवरेज से दूर रखें जाने से कई सवालिया निशान लगते दिख रहे हैं
मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ रहे तीनो आरक्षकों द्वारा शासकीय दस्तावेजों में कूटरचना करने व मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान राशि बड़े पैमाने पर गबन कर भ्रष्टाचार किए जाने तथा मामले को आनन फानन में मामला दर्ज करने एवं निष्पक्ष सही जांच ना किए जाने का आरोप लगाते हुए एक शिकायतकर्त्ता ने इस मामले को गृहमंत्री भारत सरकार नई दिल्ली को शिकायत पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच कराने की मांग रखी गई
ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री निवास कार्यालय (सचिवालय) में बड़े पैमाने पर मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान राशि करोड़ों रुपए गबन किए जाने तथा फर्जी हस्ताक्षर युक्त पत्र , सचिवालय का सील मुहर का उपयोग मुख्यमंत्री निवास के अंदर का संवेदनशील मामले को गंभीरता पूर्वक जांच ना किए जाने,गुपचुप तरीके से दबाऐ जाने को लेकर शिकायतकर्त्ता घनश्याम रक्सेल ने निष्पक्ष जांच से संबंधित कुछ बिंदुओं को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री मा, अमित शाह भारत सरकार नई दिल्ली से शिकायत की गई शिकायतकर्त्ता का आरोप है कि सचिवालय में पदस्थ अधिकारी तथा मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर राइटिंग एक्सपर्ट से जांच, फर्जी सील बनाने वाले पर कार्यवाही क्यों नहीं की गई,शायद वह सील मुख्यमंत्री सचिवालय का हो सकता है, मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान राशि कई हितग्राहियों के नाम पर दो से पांच लाख रू निकालें जाने पर पुलिस ने सिर्फ दो व्यक्तियों का बयान लिए जाने, अन्य लोगों की पहचान छिपाने, शासकीय कर्मचारियों के नाम से स्वेच्छा अनुदान राशि निकाल कर भ्रष्टाचार करने, प्रशासनिक तंत्र का दुरूपयोग करने जब्त कम्प्यूटर सी पी यू , मोबाइल के वाटसाप,काल डिटेल की फोरेंसिक जांच नहीं कराए जाने, बड़े पैमाने पर कितनी अनुदान राशि की भ्रष्टाचार किए जाने पर निष्पक्ष जांच नहीं किए जाने को लेकर शिकायतकर्त्ता घनश्याम रक्सेल ने शिकायत पत्र में यह भी कहते हुए आरोप लगाया कि आनन फानन में इस मामले को छोटा रूप देकर मामला दर्ज किया गया जबकि तीनों आरोपी आरक्षकों द्वारा आरोप लगाया गया है कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है उनके साथ थाने में मारपीट कर कोरे कागज पर हस्ताक्षर कराए गए हैं शिकायतकर्त्ता घनश्याम रक्सेल ने शिकायत पत्र में कहा कि यदि छत्तीसगढ़ शासन की जांच और कार्यों पर पारदर्शिता होती तो इस संवेदनशील मामले को मीडिया से ना छिपाते हुए सार्वजनिक किया जाना चाहिए था आरोप यह भी लगाया गया कि इस भ्रष्टाचार में बड़े अधिकारियों का हाथ होने से इंकार नहीं किया जा सकता है मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान राशि बड़े पैमाने पर किया गया हो और आरोपियों को मोहरा बनाया गया हो मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान राशि में भ्रष्टाचार कितने सालों से चल रहा है कौन कौन शामिल हैं क्योंकि स्वेच्छा अनुदान राशि के लिए की गई आवेदन पत्र कई विभागों से जांच के बाद स्वीकृत किया जाता है यह जांच का विषय है अभी यह मामला माननीय न्यायालय रायपुर में विचाराधीन चल रही है परन्तु मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा इतनी बड़ी संवेदनशील मामले को मीडिया और जनता के बीच सार्वजनिक ना किया जाना किस ओर इशारा कर रही है मुख्यमंत्री सचिवालय पर कई सवालिया निशान लगते दिख रहे हैं। अब देखना यह है कि माननीय न्यायालय द्वारा तीनों आरक्षक आरोपियों के कारनामे पर सुनवाई पश्चात क्या फैसला सुनाया जाता है।