हतास निराश मरीजों के बिमारियों का निदान, आर्युवेद स्वास्थ्य सेवा केन्द्र
रायपुर न्यूज/ जय भगवान धनवंतरी आर्युवेद दवाखाना में कई ऐसे जटिल से जटिल बीमारियों का आर्युवेदिक शर्तिया ईलाज किया जाता है। आर्युवेद स्वास्थ्य सेवा केन्द्र दवाखाना के चिकित्सक(वैद्यराज) श्री दिलीप गुप्ता ने बताया कि जो मरीज़ अपने बिमारियों से व अन्य स्थानों से ईलाज से निराशा मिली हों वह व्यक्ति इस आर्युवेद दवाखाना में आकर राहत पाई है मालूम हो कि इस आर्युवेद दवाखाना में शरीर के कई अंगों से संबंधित बीमारियों से लोगों को निजात मिली है आर्युवेद दवाखाना में निसंतान, लकवाग्रस्त, गठिया, वातरोग,नस व घुटने की तकलीफ़,बावासीर मरीजों का उपचार किया जाता है।
वैद्यराज दिलीप गुप्ता जी ने बताया कि आयुर्वेदिक ऐसी ही एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। इसका शब्दिक अर्थ है जीवन का विज्ञान और यह मनुष्य के समग्रतावादी ज्ञान पर आधारित है। दुसरे, शब्दों में, यह पद्धति अपने आपको केवल मानवीय शरीर के उपचार तक ही सीमित रखने की बजाय, शरीर मन, आत्मा व मनुष्य के परिवेश पर भी निगाह रखती है। आयुर्वेदिक मेडिसिन्स को असर करने में ऐसी बहुत ही कम आयुर्वेदिक मेडिसिन्स हैं जो एक हफ्ते से पहले असर दिखाने लगती हैं। कई बार बीमारी ठीक होने में एक महीने से लेकर साल भर भी लग जाता है। लेकिन आयुर्वेदिक मेडिसिन्स का प्रभाव ज्यादा टिकाऊ होता है।आयुर्वेद में अश्वगंधा को एक शक्तिशाली जड़ी बूटी माना जाता है।आयुर्वेद ( = आयुः + वेद ; शाब्दिक अर्थ : 'आयु का वेद') एक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली है जिसकी जड़ें भारतीय उपमहाद्वीप में हैं। भारत, नेपाल और श्रीलंका में आयुर्वेद का अत्यधिक प्रचलन है, जहाँ लगभग ८० प्रतिशत जनसंख्या इसका उपयोग करती है। आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। आयुर्वेद से मिलता जुलता शब्द आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका सम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है ।
प्रायः सभी लोग आयुर्वेद के सिद्धान्त और व्यवहार को बहुत आधिक महत्त्व देते हैं और इसे स्वयं ब्रह्मा जी ने प्रजा हित के लिए दिया हुआ विज्ञान है ऐसा मानते हैं।आयुर्वेद के ग्रन्थ तीन शारीरिक दोषों (त्रिदोष = वात, पित्त, कफ) के असंतुलन को रोग का कारण मानते हैं और समदोष की स्थिति को आरोग्य। आयुर्वेद को त्रिस्कन्ध (तीन कन्धों वाला) अथवा त्रिसूत्र भी कहा जाता है, ये तीन स्कन्ध अथवा त्रिसूत्र हैं - हेतु , लिंग , औषध। इसी प्रकार सम्पूर्ण आयुर्वेदीय चिकित्सा के आठ अंग माने गए हैं (अष्टांग वैद्यक), ये आठ अंग ये हैं- कायचिकित्सा, शल्यतन्त्र, शालक्यतन्त्र, कौमारभृत्य, अगदतन्त्र, भूतविद्या, रसायनतन्त्र और वाजीकरण।
आर्युवेद स्वास्थ्य सेवा केन्द्र का पता -- जय भगवान धनवंतरी
आर्युवेद स्वास्थ्य सेवा केन्द्र
गुप्ता जी जड़ी बूटी एवं पूजा सामग्री दुकान,जी टी काम्प्लेक्स, रायपुर- बिलासपुर रोड खमतराई रायपुर छ ,ग
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