ग्रामीण महिलाओं के लिए गौठान बने एम्प्लाॅईमेंट हब
रायपुर जिले में सरकार की महत्वकांक्षी योजना के तहत गांव-गांव में स्थापित किए गौठान आज ग्रामीण महिलाओं के लिए एम्प्लाॅईमेंट हब का रूप लेते जा रहे है। मल्टी एक्टीविटी सेंटर के रूप में इन गौठानों का विकास तो हो ही रहा है, परन्तु सरकार की गौधन न्याय योजना से ही जिले के गौठानों में काम करने वाले महिला समूहों ने 5 करोड़ 29 लाख रूपये का लाभांश अर्जित कर लिया है। किसी एक योजना से इतनी राशि का लाभांश उसकी सफलता को स्वमेव ही सिद्ध करता है। रायपुर जिले में गौधन न्याय योजना के तहत 325 गौठानों में 2 रूपये प्रति किलो की दर से साढ़े दस करोड़ किलो से अधिक गोबर की खरीदी की जा चुकी है। इसके लिए पशुपालकों को 21 करोड़ रूपये से अधिक का भुगतान भी किया गया है। गौठानों में काम करने वाले महिला स्व-सहायता समूहों ने इस गोबर से 2 लाख 76 हजार क्विंटल से अधिक जैविक खाद का उत्पादन किया है। इसमें से इन महिला समूहों ने 18 करोड़ 60 लाख रूपये से अधिक की 2 लाख 12 हजार क्ंिवटल से अधिक जैविक खाद की बिक्री भी कर दी है। इस खाद से इन समूहों को 5 करोड़ 29 लाख रूपये का शुद्ध लाभ हुआ है। जैविक खाद बनाने लगे दो स्व-सहायता समूहों को उत्कृष्ट कार्य के लिए जिला एवं राज्य स्तर पर पुरस्कृत भी किया गया है।
रायपुर जिले के गौठानों में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा गोबर से वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट प्लस जैसे गुणवत्ता युक्त जैविक खाद तो बनाये ही जा रहें है। इसके साथ ही गोबर काष्ट, दिया, गमला, पोताई का पेंट आदि भी गौठानों में बन रहें है। जिले में गौठानों को महिला सशक्तिकरण के बेमिसाल उदाहरण के तौर पर देखा जा रहा है। राज्य सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना से गांवो के सभी वर्ग आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं। उन्हें आर्थिक आजादी मिल रही है। गौठानों में विभिन्न आय एवं आजीविका मूलक गतिविधियों के संचालन से महिलाएं स्वावलंबन की राह पर निश्चित रूप से अग्रसर हो रही हैं।
कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में जिला रायपुर में शासकीय योजनाओं का क्रियान्वयन बेहतर रूप से होने हितग्राही समय पर लाभान्वित हो रहे हैं। जिले के 326 गौठान में से 325 गौठानों में गोधन न्याय योजनांतर्गत 15 हजार 582 पशुपालकों से 10 लाख 51 हजार 658.14 क्विंटल से अधिक गोबर क्रय किया गया एवं 21 करोड 03 लाख रूपये से अधिक की राशि का भुगतान किया जा चुका है। जिले के गौठानों में महिला स्व-सहायता समूह द्वारा अब तक 1 लाख 80 हजार क्ंिवटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट, 95 हजार 540 क्ंिवटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट एवं 830.18 क्ंिवटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट प्लस जैविक खाद बनाये गए है। जिसमें से 15 करोड़ 48 लाख 73 हजार रूपये से अधिक मूल्य के एक लाख 46 हजार 249 क्ंिवटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट, 66 हजार 370 क्ंिवटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट एवं 780.30 क्ंिवटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट प्लस का विक्रय किया जा चुका है। खाद का भण्डारण, वितरण समितियों के माध्यम से निरंतर हो रहा है। गौठानों में इसके अलावा भी ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए अनेक आयमूलक गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। वेस्ट डी-कम्पोसर घोल बनाना, जैविक कीटनाशक बनाना, बाड़ियों में साग सब्जी का उत्पादन, मुर्गीपालन, बतखपालन, अगरबत्ती निर्माण, गुलाल निर्माण, गोबर पेंट आदि गतिविधियों का संचालन गौठानों में किया जा रहा है। आरंग विकासखंड के चटौद ग्राम के सीता महिला स्वसहायता समूह को अपने उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रदेश स्तर पर एवं धरसींवा विकासखंड के निलजा गौठान को उत्कृष्ट कार्य के लिए जिला स्तर पर पुरूस्कृत किया गया है।
जिले के छह गौठानों में राज्य शासन द्वारा निर्धारित 4 रूपये प्रति लीटर की दर से छह हजार 224 लीटर गौमूत्र की खरीदी भी की जा चुकी है। इससे अब तक 3 हजार 85 लीटर कीटनाशक बनाया गया है। जिसे बेचकर महिला समूहों को डेढ़ लाख रूपये अधिक की आमदनी हुई है।
रायपुर जिले में गौधन न्याय योजना एक नजर में
कुल गौठान - 326
गोबर खरीदी करने वाले गौठान - 325
कुल गोबर खरीदी - 10.50 करोड़ क्ंिवटल से अधिक
गोबर संग्राहकों को भुगतान की गई राशि - 21 करोड़ रूपये से अधिक
कुल निर्मित जैविक खाद् - 2 लाख 76 हजार 501 क्ंिवटल से अधिक
कुल बेची गई जैविक खाद् - 2 लाख 12 हजार क्ंिवटल से अधिक
बेची गई खाद् की राशि - 18 करोड़ 60 लाख रूपये से अधिक
महिला समूहों को मिला लाभांश - 5 करोड़ 29 लाख रूपये से अधिक