रायपुर जिले में आगामी रबी फसलों हेतु समसामयिक कृषि सलाह
रायपुर / रायपुर जिले का कुल क्षेत्रफल 2.89 लाख हे. है, जिसमें से 1.60 लाख हे. में खरीफ में धान की खेती होती है। रायपुर जिले में 26 हजार है. रकबा रबी फसलों के अंतर्गत है, जिसमें 16 हजार में अनाज वाली फसलें यथा- गेहूं, मक्का आदि, 5 हजार हे. में दलहन वाली फसलें– चना, मटर, मसूर, मूंग एवं तिवड़ा, तिलहनी फसलें- राई, सरसों, अलसी, कुसुम, तिल, सूर्यमुखी, मूंगफली इत्यादि 1700 हे. में खेती की जाती है। चूंकि सिंचाई के सिमित साधन उपलब्ध होने के कारण रायपुर जिले की फसल सघनता कम ( 124% ) है। इसे बढ़ाने हेतु वर्षा आधारित स्थिति में धान के पश्चात उतेरा फसल के रूप में विभिन्न दलहनी फसल- तिवड़ा, चना, मसूर, बटरी इत्यादि, तिलहनी फसलों- अलसी, सरसों इत्यादि को उपयुक्त समय में पर्याप्त नमी की उपलब्धता में बुआई करें। उतेरा फसल के लिए प्रायः अक्टूबर के द्वितीय पखवाड़ा तक बुआई किया जाना अत्यंत आवश्यक है, इस हेतु जिन खेतों में धान की मध्यम अवधि 120-125 दिन में पकने वाली किस्में जैसे- महामाया, राजेश्वरी, दुर्गेश्वरी, एम.टी.यू 1001 लगायी गई है, उन्हीं खेतों में उतेरा फसलों की बुआई करें। उतेरा फसल के लिए तिवड़ा की उपयुक्त प्रजाति महातिवड़ा एवं प्रतीक है, जिसका बीज दर 75-80 कि.ग्रा./हे. है। चना की उपयुक्त प्रजाति - छ.ग. चना - 2, इंदिरा चना 1, छ.ग. लोचन चना एवं बीज दर 80-100 कि. ग्रा. / हे. है। मसूर की उपयुक्त प्रजातियां छ.ग. मसूर - 1 आई.पी.एल. - 316, आर. बी. एल. 31 एवं बीज दर 40-50 कि.ग्रा. / हे. है। अलसी की उपयुक्त प्रजातियां - आर. एल. सी. - 143, आर. एस. सी. - 153, इंदिरा अलसी - 32 इत्यादि है एवं बीज दर 10 कि.ग्रा. / हे. है। सरसों की उपयुक्त प्रजातियां - छ.ग. सरसो - 1, इंदिरा तोरिया - 1, पूसा बोल्ड, वरदान है तथा बीज दर 4-6 कि.ग्रा / हे. है। उक्त फसल किस्मों के प्रमाणित एवं उपचारित बीजों को धान की कटाई के 15 दिन पूर्व खड़ी फसल में पर्याप्त नमी होने की अवस्था में छिड़ककर बोंए।
जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है वहां पर रबी फसलों के लिए खेत की तैयारी अच्छी तरह से करें, इस हेतु ट्रेक्टर चलित रोटावेटर अथवा कल्टीवेटर का प्रयोग कर खेतों की तैयारी करें। सिमित सिंचाई की उपलब्धता ( 1 से 2 ) होने पर रबी के मौसम में मसूर, चना, मटर,सरसों, अलसी, कुसुम इत्यादि फसलों को खेतों को अच्छी तरह तैयार कर नवम्बर के प्रथम पखवाड़ा तक कतारों में बुआई करें। कृषक जिनके पास पर्याप्त सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है वह खेत भली भांति तैयार कर कतार में सीडड्रिल के माध्यम से गेहूं, मक्का, मटर, सरसों, सूर्यमुखी, आलू, प्याज एवं सब्जियों की बुआई नवम्बर माह में पूर्ण कर लेवें तथा रागी फसल की बुआई जनवरी-फरवरी माह में की जा सकती है।