मोदी का लाल किले के प्राचीर से भ्रष्टाचार और वंशवाद के खिलाफ लड़ाई का आवाह्न राजनीतिक भोथरापन से ज्यादा कुछ नहीं...

मोदी का लाल किले के प्राचीर से भ्रष्टाचार और वंशवाद के खिलाफ लड़ाई का आवाह्न राजनीतिक भोथरापन से ज्यादा कुछ नहीं...

मोदी के लाल किले के प्राचीर से मजबूत और राजवंश के खिलाफ लड़ाई का आवाह्न राजनीतिक भौथरापन से ज्यादा कुछ नहीं...


15 अगस्त 1947 को हम आज़ाद हो गये यह आज़ादी हमें लाखो कुर्बानियों के बाद हासिल हुई।
इस कुर्बानी ने किसी एक धर्म, एक जाति, एक रंग ने नहीं किया आबाद हिंदुस्तान में रहने वाले सभी धर्म जाति और रंगो ने दिया...इस आजादी पर 76 साल बाद भी सवाल यह है कि हमारे अनुयायियों ने इसी तरह के आधार बनाए, विभिन्न धर्मों में बटे हुए, बट में विभाजित समाज का संदेह और वंशवादियों द्वारा धूम्रपान कर सत्य सुख भोगते देखा था। 
ऐसे में प्रसिद्ध व्यंगकार रीश शंकर परसाई जी के व्यंग वर्तमान में नशेड़ी हैं।
पिछले दिनों के उद्घाटन में 9 किसान हुए बागानों को गिरा कर केंद्र में पशुपालन सरकार देश के विभिन्न राज्यों में अपनी सरकार बनाई है...
उन्होंने कहा 
रोज़ विधानसभा के बाहर बोर्ड पर "आज का बाज़ार भाव" लिखा जा रहा है उन रिश्तों की सूची में भी व्यापारी साथ रहे जो बिकने को तैयार है। इससे खरीददार को सुविधा होगी और माल भी मिलेगा 

वर्तमान केंद्र की साझी सरकार में देश की जनता ने एतिहासिक बहुमत दिया, एक नहीं दो बार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दामोदर मोदी से भी बहुत कुछ मांगा, वे देश में व्याधिवाद, राजनीति में व्याप्त वंशवाद, जाति और धर्म में बटे भारतीय समाज को एक करने और देश के विकास में अपनी अहम भूमिका निभाएंगे वही ढाक के तीन पात वाली बात साबित हुई।
बन्धुत्व, वंशवाद और जातिवाद और धर्म पर नरेन्द्र मोदी का नारा अब तक भोथरा ही साबित हुआ है 

काठ का रंग अब काला से केसरिया हुआ

काला धन 2014 के आमचुनाव के पूर्व और आम चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों में क्या कहा करते थे.. उन्होंने कहा था कि देश के बाहर इतना काला धन है कि प्रत्येक भारतीय के खाते में 1500000 लाख रुपये आजाएँगे, सरकारी कर्मचारी जो ईमानदारी से अपना टैक्स चुकाते हैं अगर उन्हें 5% से 10% मिल जाएगा तो क्या बुरा है ... यह कथन वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि यह एक जिद्दी जुमला था।
जिस की लड़ाई की बात नरेंद्र दामोदर मोदी करते थे या करते हैं वह अब जनता के दिलो दिमाग में नहीं रह रहे हैं...
मोदी हमेशा से ही अपनी चमत्कारी राजनीति करते आ रहे हैं जो उनकी लड़ाई का प्रतीक है।
नरेंद्र मोदी के एक भाषण में कहा गया:- गरीबों ने मेरे देश की सारी संरचनाओं को, देश के समर्थकों को पूरी तरह से नोच लिया, गरीबों से मुक्ति, गरीबों के खिलाफ जंग हर इकाई में हर क्षेत्र में मेरे देश के निवासी मेरे प्रिय परिवार मोदी के जीवन के खिलाफ प्रतिबद्धता है, यह मेरे जीवन का व्यक्तित्व है कि मैं गरीबों के खिलाफ लड़ाई लड़ता हूं।
सबसे पहले अपनी खुद की पार्टी भारतीय जनता पार्टी के असंतोष में बर्बादी पर बात करते हैं।
शिवराज सिंह चौहान 2018 में मध्य प्रदेश में हुए चुनाव के कारण हार गए... उनके बाद 2019 में भी कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद भी मोदी ने शिवराज सिंह चौहान को दोबारा मुख्यमंत्री बनाया।

जब हिमंत विश्व शर्मा कांग्रेस सरकार में मंत्री थे तब बीजेपी ने उन पर घाटालों के आरोप लगाए कि वे आज असम के मुख्यमंत्री हैं।
यदुरप्पा पर कांग्रेस पार्टी और पार्टी यस की सरकार गिर जाने के बाद मुख्यमंत्री यदुरप्पा को बनाया गया आरोप..
इसके अलावा शुभेंदु अधिकारी शारदा रिटायरमेंट, नारायण राणे लैंड प्लॉट, पीएस बोम्मई, छगन भुजबल, रघुवरदास, हसन मुशरिक, हद तब हो गए। 2 दिन पहले ही देश में बने थे एसोसिएट्स के कागजात जिन साज़िशों में सहायक गुट को दे दिया गया, वो भी मोदी जी को लगा रहे थे।
ऐसे में पर्सन जब मोदी के खिलाफ ये बात है मोदी के खिलाफ ये बात है आज की जनता को बचाना ही ऐसी बात है।

राजवंशवाद:- तेरा राजवंशवाद से मेरा राजवंश अच्छा

परिवारवाद या वंशवाद की राजनीति विपक्ष: लोकतंत्र की भावना के विपरीत है। 
हाल ही में बीजेपी के 42वें स्थापना दिवस समारोह के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि इस देश में अभी भी दो तरह की राजनीति चल रही है। एक है परिवार की प्रति निष्ठा (वंशवादियों) की राजनीति और अन्य है (भाजपा की तरह) राष्ट्रवाद के लिए समर्पित। जहां गत 2 चुनावों में 'कांग्रेस मुक्त भारत' और 'भ्रष्टाचार मुक्त भारत' भाजपा के 2 प्रमुख नारे थे, 2024 के चुनाव में नैरावेटिव संविधान के लिए प्रचार: 'वंशवाद मुक्त भारत' होगा।
प्रधानमंत्री जब यह कहते हैं कि वंशवाद देश के सदस्यों के लिए अभिशाप है और उनके विरोधी विचारधारा के पक्ष में संकेत मिलता है तो ऐसे में तीन गुंगलिया अपनी खुद की पार्टी और विचारधारा के गठबंधन में शामिल होकर राष्ट्रवादी वंशवाद की ओर इशारा करते हैं।
15 अगस्त को मोदी ने लाल किले पर 10वीं बार झंडे गाड़े तो इस बार देशवासियों को उन्होंने "परिवारजन' नाम से पुकारा। कहा- लोकतंत्र में एक बीमारी है, वो परिवारवादी पार्टी है। परिवारवाद का मूल मंत्र है- ऑफ द फैमिली, बाई द फैमिली और फॉर द फैमिली। प्रधानमंत्री ने अपने 90 मिनट के सपने में 12 बार परिवारवाद का जिक्र किया। इससे आप समझ सकते हैं कि इस बार आम चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी परिवारवाद को लेकर कितनी संजीदा और आक्रामक वाले हैं।
तो सवाल उठता है कि क्या बीजेपी इस आम चुनाव में पारिवारिक राजनीति करने वाले 11 टिकटों का टिकट कटेगी? 
किस बात पर ध्यान दिया जाएगा?
यूपी में बीजेपी के नजदीकी परिवार की राजनीति में 32 बड़े चेहरे हैं, इनमे से 11 मिनिस्टर हैं, 7 मंत्री हैं और 14 विधायक हैं।
उत्तर प्रदेश में भाजपा का जिन तीन संतों के साथ गठबंधन है, उनका बुनियाद भी परिवार की राजनीति पर ही टिकी है।
भाजपा के इन तीन घटक सिद्धांतों के नाम अपना दल एस, निशाद पार्टी और सुभासपा है।
और ये अकेले यूपी का नहीं है यूपी का ज़िक्र ज़रूरी है केंद्र की सत्ता की चाभी यूपी से ही अगुआई है।
ऐसे में नरेंद्र मोदी का वंशवाद करना राजनीतिक ओछापन की बात है।

जाति और धर्म आधारित राजनीति

मोदी ने जब अपने भाषणों में जाति और धर्म आधारित राजनीति की बात कही है तो मैं जाति और धर्म आधारित राजनीति को बढ़ावा देना चाहता हूं। देते हैं।

ऐसे में लाल किले के प्राचीर से जब टुकड़ों और राजवंशों से मुक्त भारत की बात की जाती है तो उनका यह समीकरण राजनीतिक भौथरापन से ज्यादा कुछ नहीं लगता।
हरिशंकर परसाई की स्मृति में 10 अगस्त 2023 को उनकी श्रद्धाजलि ने कहा था कि यह उनका व्यंग्य है जो वर्तमान रोमानिया में सत्य के चरित्र को उद्धृत करता है।
सबसे निर्मम आन्दोलन समर्थकों के विरोध का आन्दोलन होता है। एक प्रकार का मनोरंजन है जिसे राजनीतिक दल कभी-कभी खेलते हैं जैसे कि उथले का मैच।

 हमारे लोकतंत्र की यह ट्रेजेडी और कॉमेडी है कि कितने लोग जिंहे अजन्मे जेलखाने में रहते हैं उन्हें जीवन भर विधानसभा या संसद में रहना चाहिए

विचार जब लुप्त हो जाता है या जब विचार प्रगति करने में बाधा उत्पन्न होता है या किसी का विरोध करने में भय लगता है, तब तर्क का स्थान हल्द या गुंडागर्दी ले लिया जाता है

 दुनिया में भाषा अभिव्यक्ति का काम आता है। इस देश में दंगों के काम आते हैं"

जब शर्म की बात गर्व की बात बन गई तब समझो जनतंत्र महान चल रहा है 

राकेश प्रताप सिंह परिहार
(कलमकार, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति)