रायपुर छत्तीसगढ़ एयरपोर्ट से रवाना हुए उमराह यात्री।

रायपुर छत्तीसगढ़ एयरपोर्ट से रवाना हुए उमराह यात्री।

रायपुर छत्तीसगढ़ से उमराह यात्रा पर निकले, उमराह यात्री।
 हमारा देश विविध संस्कृतियों का देश है। जहां सभी वर्गों धर्मों के लोग मिल-जुलकर रहते हैं।इन सभी की अपनी अलग भाषा होती है अपना अलग धर्म और अलग परिवेश होता है। इनमें से कई लोग ईश्वर को मानते हैं तो कई लोग अल्लाह को मानते हैं। इनके धर्मों में अलग-अलग पूजा का रीति रिवाज है। हिंदुओं में चार धामों की यात्रा बहुत जरूरी होती है वैसे ही मुस्लिमों में मक्का मदीना की यात्रा बहुत जरूरी मानी जाती है।आपने जब हज यात्रा के बारे में सुना होगा तो आपने उमराह का भी सुना होगा की कभी सुना होगा कि लोग मक्का में उमराह करने जाते हैं।ऐसे में यकीनन आपको मन में सवाल उठ रहा होगा कि उमराह असल में क्या होता है और ये हज यात्रा से किस तरह अलग होता है। तो आइए आज आपको बताते है उमराह क्या होता है
भारत में बसते हैं सभी धर्म
क्या होता है उमराह
इस्लामिक ग्रंथों के अनुसार उमराह का मतलब मक्का में हरम शरीफ की जियारत करने से है
इस्लामिक ग्रंथों के अनुसार उमराह का मतलब मक्का में हरम शरीफ की जियारत करने से है, जिसे वर्ष में किसी भी समय किया जा सकता है। उमराह मुसलमानों को ईमान ताज़ा करने और ख़ुदा से गुनाहों की माफी मांगने का मौका होता है। इस यात्रा में मुसलमान काबा के चारों और चक्कर लगाते हैं यानि तवाफ करते हैं और जिसका तवाफ पूरा हो जाता है, तो उसका उमराह मुकम्मल हो जाता है। साथ ही, अल्लाह की इबादत यानि पूजा की जाती है और कुरान पढ़ जाता हैं 
कब किया जाता है 
उमराह करने की अवधि 15 दिन की होती है
उमराह करने का तरीका हज से बिल्कुल अलग है क्योंकि इसकी अवधि 15 दिन की होती है। इन दौरान आठ दिन मक्का और सात दिन मदीना में रहना होता है और इस्लाम के ग्रंथों के अनुसार तमाम काम करने पड़ते हैं। इस यात्रा की खास बात ये है कि सऊदी में जब हज कराया जाता है तो उस समय उमरा नहीं किया जा सकता है, लेकिन साल में कभी भी किया जा सकता है।
 उमराह या फिर हज करते वक्त महिलाओं और पुरूषों के लिबास अलग-अलग होते हैं। पुरूष हज या उमराह करते वक्त बिना सिले और सफेद कपड़े पहते हैं। सफेद कपड़े को कमर से बांध कर लूंगी की तरह पहना जाता है और ऊपर के हिस्से में कपड़े का दूसरा टुकड़ा शाल की तरह पहना जाता है। वहीं, महिलाएं बुर्के और नकाब में उमराह करती हैं कितना अलग है उमराह हज से उमराह हज से काफी अलग है जिसे करना सुन्नत माना जाता है। वहीं, हज हर मुसलमान को करना फर्ज होता है। अगर किसी मुसलमान पर किसी तरह का उधार नहीं है या वो आर्थिक रूप से मजबूत है, तो इसे एक बार हज करना जरूरी होता है। वहीं, उमराह आप अपनी श्रद्धा के अनुसार कभी भी कर सकते हैं। 
माहे रबीउल अव्वल का महीना है, हिन्दुस्तान के सभी इलाकों से कई ज़ायरीन मुसलमान मक्का मदीना ज़ियारत करने की गरज से उमराह करने जा रहे हैं
इसी कड़ी में उमराह करने रायपुर शहर से भी रोजाना ज़ायरीन एयरपोर्ट से रवाना हो रहे हैं
ज़ायरीन दिल्ली से जद्दा सऊदी अरब रवाना हुए जद्दा से मदीना शरीफ़ फ़िर मक्का शरीफ़ में उमराह के अहकाम पूरे कर अपने वतन लौट जाते हैं ,आज दिनांक 21/09/23 को सुबह 8 बजे रायपुर एयरपोर्ट से उमराह यात्री रवाना हुए 
उमराह यात्रा में जाने वालों में फारूख कुरैशी, फिरोज कुरैशी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के रायपुर संभाग अध्यक्ष फरीद कुरैशी की (माताजी) वहीदा बेगम,(मामा जी) मिर्जा नजीरूदिन,(मामी) वहीदा बेगम, तथा शकीला बानो जायरीन हज़रत रवाना हुए उमराह का सफर 15 से 20 दिनों का हैं यात्रा पर जाने वालों की वापसी 12 अक्टूबर को वापसी होगी।