अनिश्चितकालीन हड़ताल पर ग्रामीण आदिवासी, गोगपा के जिला अध्यक्ष के तत्वावधान में
रायपुर गरियाबंद न्यूज/ ग्रामीण आदिवासीयों के अधिकारों से भू अधिकार पट्टा ना मिलने एवं वन विभाग टाईगर रिजर्व गरियाबंद के मनमानी ढंग आदेश से परेशान हताश ग्रामीणों ने पूर्व में महामहिम राज्यपाल महोदय को ज्ञापन सौप कर अपनी मांगे रखी गई है परंतु आज तक संज्ञान नहीं लिया गया जिससे ग्रामीणों में आक्रोश देखा जा सकता है मालूम हो कि वन अधिकार भू पट्टा से वंचित किए जाने,सीतानदी टाईगर रिजर्व वन विभाग द्वारा ग्रामीण आदिवासियों के साथ अत्याचार कर ग्रामीण आदिवासियों के घरों को तोड़फोड़ देने बच्चों को शिक्षा से वंचित करने वन विभाग द्वारा आदिवासी समुदाय के महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार करने वर्षों से निवासरत आदिवासी ग्रामीणों को भगाएं जाने से रूष्ट आदिवासी समुदाय के पीड़ित ग्रामीण आदिवासी ग्रामीणों का आरोप है कि हमें हमारी अधिकारों से वंचित किया जा रहा है हम काफी वर्षों से निवासरत है सीतानदी टाईगर रिजर्व वन विभाग द्वारा हमे अपने गांव से खदेड़ा जा रहा है विरोध करने पर हमारे घरों को तोड़फोड़ कर क्षत विक्षत कर हमारी आजीविका के साधन को नष्ट किया जा रहा है आदिवासी समुदाय के महिलाओं से दुर्व्यवहार कर रहे हैं भू अधिकार - भूमि पट्टे ना दिए जाने से हमें वंचित किया जा रहा है जिला अध्यक्ष टीकम नागवंशी ने बताया कि 5 वी अनुसूची पेटा एक्ट , ग्राम सभा तथा वन अधिकार अधिनियम के तहत कार्यवाही किया जाना था परन्तु तत्कालीन कांग्रेस शासनकाल में आदिवासियों के साथ खिलवाड़ किया जाता रहा है तत्कालीन शासनकाल में इस मामले को लेकर सरकार व सरकार के अधीन विभागों में शिकायत कि गई पर किसी प्रकार संज्ञान नहीं लिया गया है नागवंशी ने आगे बताया कि पूर्व में इस गंभीर मुद्दे को लेकर संभाग अध्यक्ष फरीद कुरैशी के नेतृत्व में महामहिम राज्यपाल को भी मांग पत्र ज्ञापन सौंपकर अवगत कराते हुए निष्पक्ष जांच कर आदिवासियों के हित में निर्णय लेने की मांग रखी है परंतु आज तक महामहिम द्वारा भी संज्ञान ना लिया जाना समझ से परे है मालूम हो कि पूर्व सरकार की आड़ लेकर सरकारी नुमाइंदे,वन विभाग अपनी मनमानी पर उतर भू अधिकार अधिनियम के तहत वर्षों से निवासरत ग्रामीण आदिवासियों को भूमि पट्टा ना देकर शासकीय दस्तावेजों से छेड़छाड़ किया जा रहा है वर्षों से निवासरत ग्रामीण आदिवासियों को कागज़ी दस्तावेजों में कुछ वर्ष पूर्व निवासरत दिखाई जा रही है जो कि वर्षों से काबिज आदिवासी समुदाय के ग्रामीणों के जीवन, सुरक्षा, बच्चों की शिक्षा, जीवन यापन के साथ खिलवाड़ किया गया साथ ही ग्रामीण आदिवासी समुदाय की महिलाओं पुरूषों के द्वारा विरोध किए जाने पर उनकी झोपड़ी - घरों को तोड
दिया गया आदिवासी समुदाय की महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार किया गया ऐसा प्रतीत होता है कि कहीं ना कहीं सरकारी नुमाइंदे अपनी जल जंगल जमीन के साथ खिलवाड़ करने पर उतारू हो गए चूंकि जल जंगल जमीन की रक्षा रखवाली करने वषों से ग्रामीण आदिवासी करते आ रहे हैं ।बताया कि महासमुन्द, गरियाबंद, जैसे कई गांवों में जहां आदिवासी समुदाय निवास करते आ रहे हैं उन्हें भू अधिकार पट्टा प्रदान ना कर वन विभाग अपनी मनमानी करते हुए मासूम आदिवासी ग्रामीणों को परेशान कर रहे हैं शिक्षा अध्यनरत स्कूली बच्चों के शिक्षण जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है सरकार ऐसे गैर शासकीय, गैर जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों पर अंकुश लगाना तो दूर की बात है सरकार द्वारा भू अधिकार पट्टा से भी वंचित किया जाना बड़ी साज़िश किए जाने की ओर इशारा करती नजर आ रही है, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के गरियाबंद जिला अध्यक्ष टीकम नागवंशी ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार के इशारे पर हम आदिवासियों पर अत्याचार किया जा रहा है हमें अपनी संस्कृति अधिकारों से वंचित किया जाना यह कहां का कानून हैं राजधानी हलचल टीम को जिला अध्यक्ष टीकम नागवंशी ने कहा कि पीड़ित आदिवासियों की बड़ी समस्या,वन विभाग गरियाबंद द्वारा किए जा रहे मासूम ग्रामीणों के साथ अत्याचार, वर्षों से करते आ रहे हैं सरकार के नुमाइंदों द्वारा पेसा कानून का उलंघन किया जा रहा है सरकार पेसा कानून को कड़ाई से पालन करने दिशा निर्देश जारी करें नागवंशी ने यह भी बताया कि आदिवासियों की पारंपरिक प्रणाली को मान्यता दी गई. इस कानून को वर्ष 1996 में कुछ अपवादों एवं संशोधनों के साथ संविधान (Constitution) के भाग 9 (पंचायतों से संबंधित) के प्रावधानों (Provisions) को अनुसूचित क्षेत्रों (Scheduled areas) तक विस्तारित करने के लिए अधिनियमित किया गया पेसा कानून का मूल मकसद सत्ता का विकेंद्रीकरण है जिसमे ग्रामसभा को स्वायत्त संस्था के रूप मान्यता दी गई है जिसमे कार्यपालिका और विधायिका के समान अधिकार होंगे। यह वास्तविक रूप में गांधी जी के ग्राम स्वराज या स्वशासन को धरातल पर उतारने का कानून है
जिला अध्यक्ष ने आगे कहा कि विगत वर्ष 4अप्रेल 2023 को ग्राम पंचायत कोयबा के आश्रित गांव सोरनामाल उजाड़ा गया यहां के 70 मकानों के 250 परिवारों की संख्या में विशेष जनजाति कमार,भुंजिया, एवं गोड परम्परागत निवासरत थें वहीं ग्राम पंचायत साहेबिन कछार के गांव इचरादी को 27 मई 2023 को उजाड़ा गया विरोध किए जाने पर मारपीट कर जेल तक डाला गया , अपने अधिकारों की मांग को लेकर कई बार शिकायत एवं प्रार्थना पत्र सौंपे जाने के बावजूद किसी प्रकार से उचित जांच व निर्णय ना किए जाने से रूष्ठ ग्राम आदिवासियों तथा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी , जिला ईकाई जिला गरियाबंद के तत्वावधान में अपनी मांगों को लेकर दिनांक 09/03/2024 से अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन किया जा रहा है।
तत्कालीन कांग्रेस शासनकाल में आदिवासियों के साथ कि गई अत्याचार, मनमानी कर आदिवासियों को उनके परंपरागत निवासरत रहे मासूम लोगों को उजाड़ा गया है तो क्या सत्ते पे बैठी भाजपा सरकार इन मासूम भोले-भाले आदिवासियों की गुहार सुनेंगे , अपनी मनमानी कर रहे अधिकारियों पर अंकुश लग पाऐगा या फिर पीड़ित आदिवासियों को अपनी लड़ाई निरंतर जारी रखनी पड़ेगी,यह समय का तकाजा ही साबित कर पायेंगी, आखिर मासूम आदिवासियों को कब न्याय मिलेंगी।